हाय मेरा नाम मिन्टू है मैं 19 साल का हल्के सवाल रंग का लड़का हूं, मजबूत बॉडी चोरी चाटी कसरती बदन, मुझे पूरी तरह से एक भरपुर नौजवान बनाता है पर मेरे एस आकर्षण बदन को मेरी ही काली नजर लग गई। इस कहानी में खेत में दो लंड से मेरी गांड चुदी।
वो भी मेरी अपनी बहार को निकली हुई गांड के करण, मेरी गांड हद से जादा बहार को निकली हुई दिखती है, जिस करण मैं हमेशा से लड़के के बीच मजाक बन कर रह गया।
मोहल्ले और स्कूल के लड़के अक्सर मुझे देख के बोलते रहते थे कि “मेरी जान आज कहा गांड मरवा के आया है” जब कि मैं एक सीधा सादा और सीधा लड़का हूं।
पर वो कहता है ना किस्मत ने लिखा कौन जाने, मेरी किस्मत को भी कुछ और ही मंजूर था।
ये बात तब की है जब मैं पहली बार अकेले नानाजी जी के गांव जा रहा था, क्योंकि आज से पहले मैं जब भी नानाजी के यहां गया हूं तो मां, पापा के साथ ही गया था।
वैसे मैं बता दूं मुझे नानाजी के यहां गए हुए 7 साल से ज्यादा हो गए हैं, और आज पहली बार मैं अकेली यात्रा कर रहा था।
अच्छा जैसा तैसे मैं गांव पाहुंचा, मेरे नानाजी का घर मैं गांव में है, ये काफी पिछड़ा हुआ गांव है जहां आज भी लाइट की कोई सुविधा नहीं है, और ना कोई उचित बस या ऑटो।
नानाजी का गाँव जिस जगह पर है वो चारो तरफ से बड़े और घने जंगल से ढाका हुआ है, जहाँ पहुँचने का एक मातृ साधन ट्रेन ही है।
वो भी ट्रेन गांव से 2 किमी पहले ही स्टेशन पर रुक जाती है जहां से आपको आगे का सफर खुद से तय करना होता है, और यहीं मुझे भी करना था।
खेत में दो लंड से मेरी गांड चुदी – हिंदी गे सेक्स स्टोरी
ट्रेन से उतर के मैं गांव की तरफ चल दिया, अभी आधा रास्ता ही तय हुआ था कि खेतो की एक लंबी लाइन शुरू हो गई थी।
मुझे शुरू से ही नेचर का बहुत शोक रहा है, लेकिन यही कारण है नानाजी के यहां कोई सुविधा नहीं होनी चाहिए के कारण भी मुझे यहां आना बहुत पसंद है।
खैर अभी मैंने खेतो की पतली पगडंडियों से होके आगे बढ़ ही रहा था कि मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई पड़ी, मैं एक दम से चौंका पड़ा कि यह सुनसान मैं ये आवाज कहां से आई।
मैंने पुरे ध्यान से वापस उसकी आवाज को सुनने की कोशिश की, और अगले ही पल मुझे वापस से वो आवाज सुनाई दी, इस बार आवाज और ज्यादा तेज और दर्द से भरी हुई थी, और ये आवाज मेरे बगल वाले सरसों के खेत से आई थी , मुझे कुछ समझ नहीं आया क्या करूं?
पर फिर भी मैंने पूरी हिम्मत जुटा के खेत के अंदर जाने का फैसला किया, मैं दबे पांव खेत के अंदर गया और वहां जो देखा उसे देख के मुझे बहुत अचंभा हुआ क्योंकि, अंदर एक काफी छोटी उमर का लड़का जमीन पे पूरा नंगा होके घोड़ा बना हुआ था।
और दो लड़के उसके पीछे चिपके हुई थी, जिसमें से एक की कमर उस लड़के के मुंह में पूरी तरह लगी हुई थी, हमारे बेचारे लड़के की आंखों से आंसू निकल रहे थे, उसके चेहरे से दर्द साफ पता चल राग था।
मैंने हिम्मत करके कहा “ये किया कर रहे हो छोड़ो उस लड़के को” मेरी आवाज सुनके दोनों चौंक गए और मेरी तरफ देखा।
“कोन है तू” “ये किया कर रहे हो तुम लोग उस बेचारे के साथ” मेरी बात सुनके उन दोनों लड़कियों ने एक दूसरे को देखा और खड़े होने लगे, और तब मैंने जो देखा वो कहा मैं कभी भूल नहीं सकता, पहला लड़का जो आगे की तरफ था वो हल्का पिचे हुए।
तो उसका मोटा लंड जो बहुत ही मोटा था धीरे धीरे करके उस लड़के के मुँह से बहार आने लगा, जिसे देख मेरे पूरे बदन में सनसनाहट दौड़ गई।
जब उसका पूरा लोडा बाहर आ गया तो मैं देख सकता था कि हेयरन रह गया उसका लंड बहुत-बहुत मोटा और बड़ा था, जो उस लड़के की लार में पूरी तरह सना हुआ था और धूप की हल्की रोशनी में चमक रहा था।
इसके बाद दूसरा लड़का जो उसके पीछे की तरफ था वो हल्का पीछे हुआ तो उसका भी लंड धीरे धीरे करके बहार आने लगा, और उसके साथ उस मासूम लड़के के मुंह से सांस आने लगी।
पर मैंने देखा कि हेयरन था कि अभी तब उसका लंड पूरा तरह बाहर नहीं आ पाया था मानो वो निकलता ही जा रहा हो।
खैर जब उसका लंड पूरा तरह बाहर आ गया तो मैंने देखा उसका लंड तो पहले वाले से भी ज्यादा बड़ा, मोटा, और काला है और उसका पिले रंग की कोई चीज़ लगी हुई थी, जो निश्चित रूप से उस बेचारे लड़के की पॉटी होगी।
जैसे ही वो लकड़े उसे अलग हुए उसके समय वो लकड़ा जो घोड़ा बना हुआ था उसने मोका देख के दौर लगा दी, पहले तो उन दोनो ने उसको पाकरने की कोसिस की पर वो बच के निकल गया और खेतो के बीच दौड़ता हुआ भगाने लगा।
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मैंने ध्यान दिया तो पाया वो पूरा नंगा होके ही भाग गया था, उसने ज़मीन पे पड़े अपने कपड़े तक उठाने की कोशिश नहीं की थी।
“निकल गया मादरचोद” उन में से एक ने उस लड़के को देख के गन्दी सी गली दी”।
“और तू कौन है बहनचोद”
दूसरे लकड़े ने मेरी तरफ एशारा करके मुझसे सवाल किया।
“जी मैं वो…”
पहले लड़की ने गुस्से से मुझे देखा कहा “मादरचोद तेरे करण शिखर हाथ से निकल गया”
दूसरे लड़के ने अब अपना लंड अपने हाथ से पकड़ कर सहलाते हुए कहा “साले अब हम तेरा शिखर करेंगे”
अगर भगाने की कोशिश की तो यहीं जान से मार देंगे” उसने ये कहते हुए वही सरसों के पास पड़ी अपनी चाकू उठा ली, जो वो पहले ही अपने साथ ले के आये थे, मैं ये देख के बुरी तरह डर गया।
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“देखिए आप लोग गलत काम कर रहे थे, मैंने तो बस मदद करने की कोशिश की है, कृपया मुझे जाने दीजिए, ऐसा लड़का नहीं हूं”
अब वो दोनों चल के बिल्कुल मेरे पास आ गए और मेरे आगे पीछे खड़े हो गए, एक ने मेरी गांड को दबते हुए
“साले पर तेरी गांड देख के तो ऐसा लग रहा है जैसे तू पक्का गांडू है”
उसकी बात सुनके दूसरा हसने लगा।
“साले हां तो चुप चाप हमारी बात मान ले हां”
उसने अपनी बात को बिच मैं ही रोक दिया, उसने मेरी गर्दन पर रख दिया, मैं बुरी तरह कांप गया, और अब मैं पूरी तरह समझ चुका था, मुझे उनकी बात मननी ही होगी, फालतू मैं कोसिस करने का कोई हल नहीं है, वो मानेंगे नहीं।
इसलिए मजबूर होके मैंने धीरे से अपना सिर हिला दिया, वो मेरी सहमती देख के खुश हो गए और कतार को एक तरफ फेक के मुझे कंडे से पाकर के जमीन पे बैठा दिया।
फिर दोनों जो पहले से ही पूरी तरह नंगे थे मेरे मुँह के सामने आ गए, और अपने बड़े लंड को मेरे चेहरे पर रगड़ने लगे।
मुझे बड़ा अजीब लग रहा था तब उस में से जो उस लड़के की गांड मार रहा था उसने अपना लंड मेरे होठों पे रख दिया था, पर उसके लंड पे उस लड़के की ही पिली पिली पॉटी साफ लगी हुई थी।
इसलिए मैंने अपना मुंह नहीं खोला तो दूसरे लड़के ने पीछे से मेरे सिर को पाकर मेरे बालों को कसके खींचा, जिस कारण दर्द से मेरा मुंह खुल गया और उसने अपना वो गंदा लोडा पूरा मेरे मुंह में घुसा दिया।
उसका लोडा सीधा मेरे गले मैं जाके टक्कर मारने लगा, फिर तो उसने जैसे मानो शताब्दी ट्रेन पकड़ ली हो।
क्योंकि अगले 10 मिनट तक वो पूरी ताकत से मेरा मुंह चोदता रहा, मेरा पूरा मुंह दर्द करने लगा था और आंखों से आंसू बहने लगे।
फिर जैसे ही उसने अपना लंड बहार निकाला दूसरे ने तूरंत अपना लंड घुसा दिया, मुझे लगा था कि सयाद हो गया, पर मुझे किया पता था तो बस शुरुआत है, ये मेरी जिंदगी का ऐसा पहला अनुभव था।
अगले 10 मिनट तक मेरे मुँह को चूत की तरह इस्तेमाल करने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे खड़ा करके मेरे कपड़े फाड़ने लगा, जिसका पहला लड़का भी उसका पूरा साथ दे रहा था।
“कृपया आराम से कपड़े मत फाड़िये मैं खुद निकल दूंगा”
पर वो दोनो पे तो जैसे कोई बहुत चारा था, वो दोनो तभी रुके जब मैं पूरी तरह से नंगे हो गया, वैसे मैं आपको बता दूं मेरा लंड भी कुछ कम नहीं है।
वैसे तो मैं वर्जिन हूं पर फिर भी मेरा लंड किसी घोड़े के परिवार का जैसा मोटा और लम्बा है, उन दोनों ने जब मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई देखी तो उनके चेहरे पर एक अलग ही खुशी आ गई।
“साले बड़ा तगड़ा माल है, कितनी गांड ली है अब तक”
उसकी बात सुनके मुझे झुनझुनी सी आ गई, पर फिर भी मैंने अपनी हिम्मत जुटा के कहा “मैंने आज तक ऐसा कुछ नहीं किया”
मेरी बात सुनके दोनों तेज़ तेज़ हंसने लगे “किया साला तू कुवारा है, यानी आज तेरी गांड की सील टूटेगी”।
और दोनो फिर से हंसने लगे, फिर दोनो ने मुझे वापस से ज़मीन पे उसी लड़के के जैसा घोड़ा बना दिया।
“तो बता कोन लेगा इसकी पहले” भाई आप बड़े हो आज इस छोटे को मोका दीजिए, वैसे भी चाची की भी आपने ही पहले ली थी आज मुझे मोका दीजिए, उसकी बात सुनके वो हंसने लगा।
“अच्छा चल तू भी याद करेगा, कोई बड़ा भाई मिला है तुझे”
मैं उन दोनों की बात सुनके सोक हो गया कि वो दोनों भाई है, और वो अपनी चाची की बात ऐसे कर रहे हैं, पर मेरा ये उपदेश ज्यादा देर नहीं रहा, क्योंकि उस लड़के ने मेरी गांड के छेद पर अपने लंड से निशाना लगाया के एक तेज़ झटका दिया।
मुझे ऐसा लगा मानो किसी ने कोई रॉड गरम करके मेरी गांड में गुस्सा दी हो, मेरा पूरा मुँह खुल गया, और मैं बहुत तेज़ चेक मार के चिल्लाने गया।
“आआआआ मररर गा आआ, प्लल्ल्ज़्ज़्ज़ मैं मर जाऊंगा प्लीज”
मेरी बात सुनके वो दोनों हंसने लगे।
“जीता रह छोटा, अब तू बड़ा हो गया है, साबाश मेरे छोटे भाई, अब वो दिन डर नहीं जब हम दोनो अपनी चाची को ऐसे ही घोड़ी बना के उसकी लेंगे”
उसकी बात सुनके छोटा भाई हंसने लगा, पर मेरी तो हालत बुरी थी मेरी आंखों से आंसू बहने लगे थे, दर्द के कारण मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया था।
तब उसके बड़े भाई ने आगे से आके अपना मोटा लोडा मेरे खुले हुए मुंह मैं गुस्सा दिया, जिसे अब मेरी आवाज मेरे भी मुंह में बंद होने लगी थी।
उनका ये काम अगले 20-25 मिनट तक चलता रहा और मैं तरसता रहा, दर्द के करण छूटने की नाकाम कोशिश करता रहा, पर हमें पूरा समय मुझे ऐसा लगता रहा मानो कोई रॉड मेरे जिस्म में जोश जा रही हो।
“आआआआ मैं गया भाई आआआआ”
और इसके साथ उसने मेरी गांड में ही पूरी नदी खोल दी, मुझे ये एहसास बहुत अजीब लगा, अच्छा या बुरा तो नहीं कह सकता, पर हां वो एहसास है जो मेरी पूरी जिंदगी नहीं भूल सकता।
फिर उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला जिसे पक कर आवाज आई और साथ ही मेरी गांड से उसका पानी बाहर आने लगा, और मैं वही बेसुध होके गिर पड़ा।
अब मुझमें हिलने की भी ताकत नहीं बची थी, लेकिन बस यहीं सोच रहा था कि किसी तरह यहां से भाग जाउ, पर मुझमें तो खड़ा होने की भी हिम्मत नहीं थी।
पर अभी मुश्किल से 3 मिनट भी नहीं हुए होंगे कि उसका दूसरा भाई जो बड़ा था, वो मेरे पीछे आ गया और और मुझे घोडी बनाने लगा, उसने ऐसी हरकत की थी कि मैं बुरी तरह हिल गया यानी कि फिर से।
“नहीं। मैं मर जाऊंगा”।
पर उसने मेरी एक ना सुनी और फिर वापस से अगले 30-35 मिनट वही मेरे बदन को हिलाता रहा पर इस बार दूसरे भाई ने अपना लंड मेरे मुँह में नहीं डाला था वो तो थक के वही ज़मीन पे लेट गया था और मुझे देख के हस्ता रहा, मुंह में कुछ ना होने के कारण पूरा समय चिल्लाता रहा और उसे खुद को चोर देने की भीख मांगता रहा।
उसके बाद उसने भी वही किया, मेरी गांड ने अपनी नदी को खुला छोड़ दिया, फिर मुझे वैसे ही नंगा चोर के वो दोनों भाई अपने कपड़े पहन के वहां से चले गए।
पता नहीं कितने समय तक मैं वही बेसुध होके पड़ा रहा और बारिश की उन बूंदों ने मुझे होश में न ला दिया।
मैंने आसमान की तरफ देखा तो पाया कि मौसम काफी खराब है, मैं किसी तरह खड़ा हुआ और वही अपने बैग से अपने दूसरे कपड़े निकले।
क्यूकी पहले के कपडे तो दोनों ने पूरी तरह फाड़ दिए थे, मैंने किसी तरह के कपड़े बदले थे और नानाजी के घर की तरफ चल पड़ा।
पर उससे पहले रास्ते में नदी पे मैंने खुद की हालत सही की, और जिस्म मेरे दौर में रहे उस दर्द को छुपाने की नाकाम कोशिश करता हुआ नानाजी के घर पहुंच गया।
मुझे देख सब बहुत खुश हुए, जिसमें सबसे ज्यादा नानाजी, बड़ी मामी क्यूकी ये दोनो मुझे बहुत मानते थे, और अपनी पढाई के चलते मैं करीब 10 साल बाद आज यहां आया था, वैसे मैंने आपको बताया दू, मेरे नानाजी की 3 बेटे हैं और एक बेटी यानि मेरी माँ है।
बड़े मामा के 2 बेटे हैं सोनू और मोनू, ये दोनों मुझसे बड़े हैं और बचपन जब भी यहां आता था तो हम सब खूब खेलते थे, मेरी दूसरी मामी की एक बेटी है जिसका नाम पूजा है, और सबसे छोटी मामी की अभी जल्दी हाय सदी हुई है.
“मामी सोनू और मोनू भैया कहाँ हैं”।
मेरी बात सुनके मामी जल्दबाजी में।
“आते ही अपने भाइयों के साथ सैर सपाटा का सोच लिया है क्या?”
मामी की बात सुनकर हम सब हंसने लगे, मामी ने दोनों को आवाज दी, क्योंकि दोनों घर के अंदर ही थे, पर जब वो दोनों मेरे सामने आए तो मानो मेरे पेरों के निचे से जमीन ही खिसक गई।
क्यूकी वो दोनों और कोई नहीं बल्की वही थे, जिन्होंने खेत पे मेरी गांड मारी थी, मैं तो मानो मूर्ति सा बन गया उन दोनों को देख के, और शायद यहीं हालत उनकी भी थी।
“अरे पहचान ये मिन्टू है”
पर मानो अब मुझे और कुछ सुनाई ही नहीं पड़ रहा हो, शिवाय खेत पे उन दोनो के मुँह से निकले वो शब्द, चाची और माँ वाली,
तो दोस्तो ये थी मेरी एक बिल्कुल अलग कॉन्सेप्ट पे मेरी पहली गे कहानी। उम्मीद करता हूँ आप को पसंद आयी होगी।