हेलो दोस्तों, मैं 32 साल की गोरी और लंबी कोमल हूं। मैं घर से बाहर नौकरी करती हूं। वैसे घर से बाहर कहना भी गलत होगा, क्योंकि मैं अकेली हूं। इसलिए जहां मैं हूं, वही मेरा घर है। और इस कहानी में मैं आपको अपने जीवन का एक छोटा था किस्सा बताने जा रही हूँ। इस कहानी का शीर्षक तड़पती चूत चुदने की दीवानी है।
मेरी काली गहरी जुल्फे, मदिरा चिल्लाते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालों के सब दीवाने हैं।
मेरे इस रूप के जाल में जो भी फंसा, बस फंसा ही रह गया। संगमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है।
मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे हैं, उसकी तो दुनिया दीवानी है। हर कोई मेरे अंदर कसे हुए चूचो का मजा लेना चाहता है।
मेरी उबरी हुई मस्त गांड की तो बात ही अलग है। जब मैं मटक-मटक कर चलती हूं, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्डे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते हैं। मुझे देख-देख कर सब आहें भरते हैं और हाय-हाय करते हैं।
तड़पती चूत चुदने की दीवानी – हिंदी की देसी चुदाई की कहानी
मैं बस इसी तरह से अपने जवान और पागल जिस्म का प्रयोग करती हूं और हमेशा जवान, स्मार्ट और हैंडसम लड़के से अपनी चूत चुदवाती हूं और उनको अपने रूप का रस देती हूं।
जो भी मेरी चुदाई करता है, वो मेरे खूबसूरत अंगो में उलझ कर रह जाता है।
मैं शिक्षण कार्य में हूं, इसलिए मेरा संपर्क 18 साल के आस-पास वाले लड़के-लड़कियों से रहता है।
अब मैं अपनी हिंदी सेक्स कहानी पर आती हूँ……….
कोरोना समय में लंबे समय तक बंद रहने के बाद स्कूल खुले थे। मैं स्कूल परिसर में ही स्टाफ क्वार्टर में रहती हूँ।
तत्काल यहां आने पर मेरा मन नहीं लग रहा था और खाने पीने की भी समस्या आ रही थी। मेरे यहां कपड़ो की सफाई के लिए, बंटी नाम का आदमी कपडे लेने आता था। मैंने उसके सामने अपनी बात राखी-
मैं: मुझे सुबह-शाम एक घंटा घर का काम करने के लिए कोई चाहिए। तो मुझे कोई ऐसा आदमी ढूंढ दो। वो लड़की हो या लड़का, इसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
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फ़िर मदन अपने बेटे को लेके आया। वो फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था और देखने में ठीक-ठाक था। उस लड़के का नाम राहुल था। फिर मैंने उसको सब समझा कर काम पर लगा दिया।
एक हल्फा उसके काम करने पर, मैं एक चीज़ देख रही थी, कि काम के साथ-साथ राहुल मुझे निहारने में भी काफी रुचि रखता था। एक दिन मैं राहुल से पूछ बैठी-
मैं: राहुल तुम मुझे घूर-घूर कर क्यों देखते हो? (तड़पती चूत चुदने की दीवानी)
राहुल बेधड़क होके बोला: आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैम।
उसकी ये बात सुन कर मेरी दिलचस्पी उसमें जाग उठी। मैंने सोचा, कि उस लड़के का प्रयोग अपनी चूत की आग बुझाने के लिए किया जा सकता है। फिर मैंने उसको बोला-
मैं: अच्छा? तो बताओ मुझमें तुम्हें क्या अच्छा लगता है।
मेरी इस बात के जवाब में राहुल ने कुछ नहीं बोला और उसने शर्मा कर अपना सिर नीचे कर लिया। मैं फिरसे उसको बोली-
मैं: राहुल शर्माना अच्छी बात नहीं है, तुम बताओगे नहीं, तो मुझे कैसे पता चलेगा, कि तुम्हें मुझसे क्या अच्छा लगता है। आओ मेरे पास आओ और मेरे चूचे दबा कर बताओ, कि तुमको मेरे साथ सबसे अच्छा क्या लगता है।
फिर राहुल मेरे पास आया और मेरे होठों पर उंगली रगड़ते हुए बोला-
राहुल: आपके ये नाज़ुक रसीले होठ। (तड़पती चूत चुदने की दीवानी)
फिर मैं राहुल को अपनी बाहों में बांधते हुए बोली-
मैं: और क्या अच्छा लगता है?
अब राहुल के हाथ मेरी चूचियों पर आ गए और वो बोला-
राहुल: ये आपकी चुचिया बहुत दिलकश और सेक्सी है।
इतने में राहुल का लंड उसकी पैंट में पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था। मैंने उसको अपनी चूचियां पकड़वाई और बोली-
मैं बोली: लो इसको अपने हाथ से पकड़ो, तुम्हें मजा आएगा। अब तुम अपने लंड से मेरी तड़पती चूत की प्यास बुझा दो और खुद भी मजा करो।
शायद राहुल को इसका अंदाज़ा नहीं था, कि मैं उसे इतनी जल्दी पट जाऊँगी। वो इस बात से काफी परेशान है।
फिर मैंने आगे बढ़कर राहुल की पैंट उतार दी और उसका जंघिया भी उतार दिया। जैसा ही राहुल का जंघिया उतरा, तो उसका लंड मुझे सलामी देने लग गया।
राहुल का लंड मोटा और तगड़ा था, उसका लंड 7 इंच लम्बा था और तरीबन 3 इंच मोटा था। फिर मैंने सोचा, चलो एक बार चुदवा के देख लेती हूँ। (तड़पती चूत चुदने की दीवानी)
अगर मजा आया, तो आगे भी इसको मौका दूंगी और अगर मजा नहीं आया, तो सब बंद।
इतने समय में राहुल मेरी चूचियों को आज़ाद कर चुका था। हमेशा कपड़ो में ढके रहने वाली मेरी खूबसूरत चूचियां, जब आजाद हुई, तो खुली हवा में मचलने लगी।
राहुल अब मेरी चूचियों को धीरे-धीरे सहला रहा था। वो बीच-बीच में चूचियों को मुँह में डाल कर चूस भी रहा था।
चुचिया चुसवा कर मेरी तपिश बढ़ती ही जा रही थी। फिर चूचियों को सहलाते हुए राहुल का हाथ, पहले मेरी नाभि पर गया और फिर मेरी चूत तक जा पाहुंचा। मेरी चूत की दरार पर राहुल का हाथ पड़ते ही मुझे झटका सा लगा।
मेरा पूरा बदन सिहरने लगा और नीचे से मेरी चूत बोली-
मेरी चूत: अब और नहीं रुका जाता, बस अब डाल दो लंड को मेरे अंदर और ठंडा कर दो मुझे।
मैने अपनी चूत को समझा: तू थोड़ा साबर कर। मैं तुम्हारी ही सेवा के लिए लंड की मालिश कर रही हूँ।
तो इस तरह से मेरी और चूत की बातें हो रही थी और मेरी चूत झर-झर करके आंसू बहा रही थी।
राहुल से मेरी चूत के आँसू देखे नहीं गए और उसने मेरी चूत की दरार पर अपनी जीभ लगा दी। फ़िर वो मेरी चूत के मदन रस का रस-पान करने लगा। (तड़पती चूत चुदने की दीवानी)
कभी-कभी राहुल अपनी जीभ को मेरी बुर में धक्का दे देता। और जीब अंदर जाते ही मेरा रोम-रोम कांपने लग जाता। इससे मेरी चूत लंड लेने को और बेचैन हो रही थी। फिर मैं राहुल से बोली-
मैं: अब और देर ना करो मेरी जान और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो धक-धक इसकी चुदाई करो। मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा।
राहुल ने मेरे नंगे जिस्म को अपनी बाहों में उठाया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उसने मेरी टांगों को अपने कंधों पर रखा।
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जिससे मेरी चूत उसके सामने खुल गई। राहुल का लंड तन कर खड़ा था और मेरी बुर से रगड़ खा रहा था।
रगड़ खाते-खाते उसके लंड को जन्नत का द्वार मिल गया और उसने जरा भी देर ना करते हुए, अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। उसका मोटा लंड चूत में जाने से मैं चीख उठी। (तड़पती चूत चुदने की दीवानी)
पूरा कसा हुआ था उसका मोटा लंड और चूत की दीवारें और लंड के बीच बाल डालने की भी जगह नहीं थी।
फिर राहुल मेरी बुर को पहले धीरे-धीरे चोदने लगा, लेकिन फिर वो अपनी स्पीड बढ़ा देता है। करीब 15 मिनट बाद उसकी चुदाई की रफ़्तार देखने वाली थी।
राहुल मुझे दे दना दन चोद रहा था और मैं भी अपनी गांड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी।
फिर मैंने राहुल को पोजीशन बदलने को बोला। राहुल ने मुझे बिस्तर के बीच-बीच में चित करके लिटा दिया और मेरी गांड के नीचे तकिया रख दिया।
फिर उसने मेरी दोनों टैंगो को खोला और लंड लेके टांगो के बीच बैठ गया।
अब वो अपने लोडे को मेरी बुर पर रगड़ रहा था और जन्नत का द्वार ढूंढ रहा था। आख़िरकार उसको जन्नत का द्वार मिल ही गया और उसने एक ही झटके में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। (तड़पती चूत चुदने की दीवानी)
अब उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और वो घपा-घप मेरी चुदाई कर रहा था।
मेरी बुर से अब फच-फच की आवाज आ रही थी और मैं मस्ती में आह.. आह.. आह.. कर रही थी। मैं उसको बोल रही थी-
मैं: आह.. ज़ोर से डाल, और ज़ोर से डाल मेरे राजा आह.. फाड़ दे मेरी चूत को।
मैं ये सब बोल ही रही थी, कि मेरे बदन में कम्पन होने लगी। फिर कुछ ही मिनटों में मेरा शरीर खत्म हो गया और मेरी चूत का पानी निकल गया।
लेकिन राहुल मुझे अभी भी चोद रहा था। वो आह्ह आहा आह्ह करके अपने लंड का गरम-गरम पानी मेरी चूत में छोड़ जा रहा था।
अब मेरी चूत की तपिश भी ठंडी हो चुकी थी। हम दोनों की चुदाई की दिनचर्या अब ऐसी ही चल रही है। हर रोज़ राहुल का काम ख़त्म होने पर मैं उससे ऐसी ही चुदवाती थी और रात भर मजे की नींद सोती थी।
धन्यवाद दोस्तो, आज की कहानी में इतना ही। ये सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बताना। धन्यवाद।